लखनऊ समझौता क्या है और कब हुआ lakhnau samjhota kya hai

लखनऊ समझौता क्या है और कब हुआ – भारतीय आंदोलन कर्ताओं के दो दल थे पहला नरम दल और दूसरा गरमदल दूसरे शब्दों में कहें तो उदारवादी और उग्रवादी । उदारवादी दल के नेता किसी भी हालात में उग्रवादियों से कोई सम्बन्ध स्थापित करने के पक्ष में नहीं थे और इसी वजह ने राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर कर रखा था । परन्तु इसकी मजबूती के लिए दोनों दल के नेताओं को साथ लाने की आवश्यकता को भांप कर एनी बेसेंट ने लखनऊ समझौता या लखनऊ अधिवेशन का आयोजन बाल गंगाधर तिलक के साथ मिल कर 1916 में किया ।

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इसके दो मुख्य उद्देश्य थे पहला गरमदल की वापसी और दूसरा कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता । मुख्यतः यह हिन्दू मुस्लिम एकता पर केंद्रित था ।मुस्लिम लीग के अध्यक्ष जिन्ना ने मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन और जिन प्रान्तों में वे अल्पसंख्यक थे, वहाँ पर उन्हें अनुपात से अधिक प्रतिनिधित्व देने की मांग रखी जो की कांग्रेस के द्वारा स्वीकार कर ली गयी और अंत में यह भयानक सिद्ध हुई इसे ही लखनऊ समझौता कहा जाता है।

जिन्ना भारतीय कॉन्ग्रेस के नेता माने जाते थे परन्तु गांधी जी के असहयोग आन्दोलन के भयंकर विरोधी थे और इसी कारण वह कांग्रेस से अलग हो गया और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बनें । लखनऊ समझौता हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए महत्त्वपूर्ण कदम था परन्तु गांधी जी के असहयोग आंदोलन के स्थगित होने के बाद यह समझौता भी भंग हो गया ।

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इसके भंग होने के कारण जिन्ना के मन में भारतीय हिन्दू राष्ट्र का भय व्याप्त हुआ और वो यह मानने लगे की भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बना दिया जाएगा जिसमे मुसलमान कभी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा इसके बाद जिन्ना एक नए मुसलमान राष्ट्र के घोर समर्थक बन गया।

जिन्ना की मांग थी की अंग्रेज जब सत्ता का हस्तांतरण करें तो उसे हिंदुओं के हाथों न सौपें क्योकि इससे देश के मुसलमानों को हिंदुओं के अधीन रहना पड़ेगा । अब जिन्ना भारतीय स्वतंत्रता की वजाए मुसलमानों के अधिकारों का चिंतक बन गया था और नए मुसलमान राष्ट्र के उत्पत्ति के लौट उसने मुस्लिम लीग का पुनर्गठन किया ।

उसे कायदे आज़म की उपाधि दी गयी और इसी की वजह से 1947 को भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का उदय हुआ

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1947 से पहले वर्तमान भारत, श्रीलंका ,पाकिस्तान ,भूटान ,नेपाल ,बांग्लादेश और बर्मा (अब म्यामार) को मिला कर हिंदुस्तान एक देश था । 1947 के बाद अंग्रेजों ने भारत के 6 टुकड़े कर दिए ।

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