कैसा छंद बना देती है के लेखक कौन हैं?

दोस्तो हमारे भारत देश मे अनेक महान लेखक एवं कवि पैदा हुए हैं जिनकी रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुईं ऐसी ही एक रचना है “कैसा छंद बना देती है” जो माखन लाल चतुर्वेदी द्वारा। रचित है।

कैसा छंद बना देती हैं
बरसातें बौछारों वाली,
निगल-निगल जाती हैं बैरिन
नभ की छवियाँ तारों वाली!,

गोल-गोल रचती जाती हैं
बिंदु-बिंदु के वृत्त बना कर,
हरी हरी-सी कर देता है
भूमि, श्याम को घना-घना कर!

मैं उसको पृथिवी से देखूँ
वह मुझको देखे अंबर से,
खंभे बना-बना डाले हैं
खड़े हुए हैं आठ पहर से!,

सूरज अनदेखा लगता है
छवियाँ नव नभ में लग आतीं,
कितना स्वाद ढकेल रही हैं
ये बरसातें आतीं जातीं?

इनमें श्याम सलोना ढूँढ़ो
छुपा लिया है अपने उर में,
गरज, घुमड़, बरसन, बिजली-सी
फल उठी सारे अंबर में!

आइये जानते हैं इनके बारे में –

जन्म – 4 अप्रैल 1889
कार्यक्षेत्र – पत्रकारिता एवं साहित्य

जन्म स्थान – इनका जन्म बावई (होशंगाबाद) में हुआ।
माता – सुंदरीबाई, पिता- नंदलाल
शिक्षा – जबलपुर से प्राईमरी टीचर्स ट्रेनिंग (1905) , नार्मल परीक्षा ससम्मान उत्तीर्ण (1907)
विवाह – ग्यारसी बाई से हुआ

उपलब्धियां इनको अनेक उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं जो निम्न हैं- कार्य प्रारंभ(1906) ,शिक्षण पद का त्याग, तिलक का अनुसरण (1910), शक्तिपूजा लेख पर राजद्रोह का आरोप (1912), प्रभा मासिक का संपादन (1913), कर्मवीर से सम्बद्ध (1920)
प्रताप का सम्पादन कार्य प्रारंभ (1923), पत्रकार परिषद के अध्यक्ष(1929), म.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन (रायपुर अधिवेशन) के सभापति ,भारत छोड़ो आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता (1942) सागर वि.वि. से डी.लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित (1959)

प्रमुख कृतियां – माता, कला का अनुवाद, युग चरण, समर्पण, वेणु लो गूंजे धरा, अमीर इरादे गरीब इरादे, समय के पांव, मरण ज्वार ,चिंतक की लाचारी ,हिमकिरीटनी, साहित्य देवता तथा हिमतरंगिनी आदि।

पुरस्कार – हिमकिरीटनी पर देव पुरस्कार (1943), हिमतरंगिनी पर साहित्य अकादमी पुरस्कार (1963),
पद्मभूषण (1963) माता पर साहित्यकार संसद प्रयाग द्वारा साहू जगदीश प्रसाद पुरस्कार, म.प्र. शासन द्वारा 7500 रूपए के साथ सम्मान अभिनंदन ग्रंथ समर्पित (1966)
मृत्यु – 30 जनवरी (1968)

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