चार्टर एक्ट 1813 क्या है ?

भारत एक अनोखा देश है हमें अंग्रेजों से आजादी तो मिल गयी पर अभी तक उन्ही के बनाये नियमों को आगे बढ़ा कर संविधान लागू कर दिया गया जिसमें हम भारतीयों का कुछ भी नहीं है ऐसा कुछ विद्वानों का मानना है। इसी कड़ी में अंग्रेजों द्वारा सन 1813 में भारतीय व्यापार के लिए एक अधिनियम लाया गया जिसे चार्टर एक्ट 1813 कहते हैं ।

charter act 1813 kya hai

और इसे ही ईस्ट इंडिया कम्पनी एक्ट 1813 भी कहा जाता है। इस एक्ट को ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यापार और ब्रिटिश शासन के नवीनीकरण के लिए लाया गया था

इसमें कम्पनी के भारतीय व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया किन्तु चाय के व्यापार और चीन के साथ व्यापार पर कम्पनी के अधिकार को जारी रखा गया

कम्पनी के एकाधिकार को समाप्त करने का मतलब था की इंग्लैंड के अन्य व्यापारी भी भारत के साथ व्यापार कर सकेगें ।

ईसाई मिशनरियों को भारत में जाकर ईसाई धर्म और अंग्रेजी के प्रचार प्रसार की छूट दी गयी। वर्तमान संविधान में भी इसी एक्ट से प्रभाव लेकर अनुच्छेद 25 बनाकर’धर्म प्रचार की स्वतंत्रता दी गयी है’

दरसल इस एक्ट में भारतीय व्यापार के नियमों के अलावा और भी बहुत से नियम पारित किये गए प्रमुखता से इसमें 2 प्रावधान किये गए : पहला – भारतीय लोगों की शिक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार की जवाबदेही और दूसरा इसाई मिशनरी गतिविधियों पर नियंत्रण की छूट ।

इस एक्ट में भारतीय लोगों की शिक्षा के लिए 1 लाख रुपयों का आवंटन किया गया था पर इस राशि को खर्च करने के प्रश्न पर विवाद हो जाने के कारण यह 1 लाख रुपये की राशि उपलब्ध ही नहीं कराई गई।

चार्टर एक्ट 1793 के बाद से हर 20 वर्ष में एक नया एक्ट या अधिनियम लाया जाने लगा जो की भारत सरकार अधिनियम 1858 के आने तक जारी रहा

चार्टर एक्ट 1813 में भारत में ब्रिटिश राजा की सम्प्रभुता को साफ और स्पष्ट कर दिया गया

यह अधिनियम स्थानीय निकायों को सुप्रीम कोर्ट के अधीन आनेवाले लोगों पर कर लगाने की छूट या अधिकार प्रदान करता था

अंत में यह एक्ट केवल घोषणापत्र जैसा बनकर रह गया इसके वास्तविक अमल के लिए न ही कोई ठोस कदम उठाये गए और न ही कोई कार्यवाही की गयी।

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